Monday 2 September 2013

सावित्री-यमराज सम्वाद !


सावित्री-यमराज सम्वाद !

                ए.टी.ज़ाकिर (रचनाकाल : ०२-०९-२०१३)

सावित्री और सत्यवान ने पुन: जन्म पाया,
हमेशा की तरह फिर से सावित्री ने सत्यवान को गँवाया |
सावित्री रो रही थी,
अपना मेकअप भिगो रही थी |
कि चारों ओर काले-काले बादल छा गये,
एक “एयरफोर्स वन” के अमरीकी प्लेन से,
यमराज वहाँ आ गये |
और बोले –
मैं इसे लेने आया हूँ – इसे ले कर जाऊंगा,
बदले में जो मांगोगी,
तुम्हे दे कर जाऊंगा |
अब मुझे अधिक समय नहीं गँवाना है,
सत्यवान की आत्मा को अपने साथ ले जाना है |
सावित्री ने कर दिया इन्कार,
यमराज की सारी रिक्वेस्ट हो गयीं बेकार |
उन्होंने चालाकी का तीर चलाया,
और अपना आशीर्वाद सावित्री को सुनाया |
“पेट्रोल की क़ीमत की तरह रोज़ तुम्हारी ख़ुशी बढ़े,
तुम्हारी हर इच्छा परवान चढ़े |
तुम्हारे ग़मों का पारा भारतीय रुपये जैसा,
नीचे गिरता जाये |
कभी भी तुम्हारे मन में,
उदासी न आये |  
बस मुझे मेरा कर्तव्य निभाने दो,
और सत्यवान की आत्मा को साथ ले जाने दो” |
सावित्री के दिमाग में पुराना वाला आईडिया आया,
उसने सत्यवान की ओर अपना हाथ हिलाया |
“ठीक है ! यमराज जी, दीजिये मुझे वरदान,
कि मेरे दस पुत्रों का पिता,
बने मेरा सत्यवान |
बताईये अब आप कैसे इन्हें ले जायेंगे,
और मुझे जन्म-जन्मांतर का दुख दे जायेंगे” |
यह सुनकर यमराज की बत्तीसी खिल गयी,
उन्हें मन माँगी मुराद मिल गयी |
उन्होंने अपनी जेब से पिग्गी बैंक का एक डिब्बा निकाला,
और सत्यवान की आत्मा को फोल्ड करके उसमें डाला |
फिर बोले –
तथास्तु !
मैं आत्मा को ले जा रहा हूँ,
और इसका शरीर तुम्हे दे जा रहा हूँ |
इसका डी.ऐन.ए भुनाओ,
और दस क्या सत्यवान के,
१०० पुत्रो की माता बन जाओ |

Saturday 24 August 2013

एक ही रास्ता

एक ही रास्ता


               ए.टी.ज़ाकिर (रचनाकाल : २४-०८-२०१३)


परसों फिर मानवता शर्मसार हुई,
इस बार मुम्बई में एक लड़की की अस्मत,
तार-तार हुई |

हमेशा कि तरह पब्लिक ने रोष दिखाया,
सड़कों पर नारे लगा के,
अपना जोश दिखाया |
पुलिस की कर्महीनता पर फिर से उठे सवाल,
मगर हमारी संवेदनहीन व्यवस्था में,
नहीं हुआ बवाल |

सबकुछ आम दिनों की तरह चल रहा है,
निर्भया रेप कांड पर,
त्वरित न्याय का आश्वासन,
अभी तक हमें छल रहा है |

बलात्कार-गैंगरेप एक आम बात हो गई है,
हमारी नई पीढ़ी,
जैसे किसी राक्षस की जात हो गई है |

इस राक्षस को मिटाने के लिये,
अब पुलिस की आत्मा को जागना होगा |
नेताओं से डरे बिना,
अपराधियों के पीछे भागना होगा |

ए पुलिस वाले भाई –
उठिये और इन जानवरों को सलाखों के पीछे लाइये,
इनकी हड्डी पसली तोड़ के,
इनसे सच उगलवाईये |
अपराध की पुष्टि होने पर,
इन्हें अदालत का नहीं,
एनकाउंटर का रास्ता दिखलाइये |

तभी कुछ बात जंचेगी,
और हमारे शर्मसार देश की लाज बचेगी |
वरना आम आदमी इतना मजबूर हो जायेगा,
कि हर घर में रोटी से पहले रिवाल्वर आयेगा |
जब बलात्कारी होल-सेल में मारे जायेंगे,
तो बिना ना-नुकर के हम,
बलात्कार पर मृत्युदंड का कानून पायेंगे |

Friday 21 June 2013

आम के आम : गुठलियों के दाम


आम के आम : गुठलियों के दाम

आज रास्ते में उन्होंने,
मुझे रोक के बुलाया,
चाय पिलाई, एक गरमागरम
समोसा खिलाया |
फिर बोले –
अब तो अपनी लाटरी लगी समझो
सोयी हुई किस्मत को जगी समझो
बड़े कमाल का आइडिया बतलाता हूँ,
मैं तो अब केदारनाथ से नीचे बहकर आती,
अलखनंदा के किनारे जाता हूँ |
नीचे जाकर नदी में बहकर आयी,
कारें, बसें.... नदी से निकलवाऊँगा,
अफ़सरों की जेब गरम करके,
अपना काम करवाऊँगा |
कारों और बसों को कटवा कर कबाड़ी को देना है,
और वाहनों में से निकले गहने व सामान को मुझे लेना है |
लाशों का संस्कार कर नाम कमाना है |
टी.वी., अखबारों, समाचारों, सब में छा जाना है |
समाजसेवा का नाम डट कर भुनाना है,
और सरकार से बढ़िया सा ‘प्रशस्तिपत्र’ भी पाना है !
फिर फ्यूचर के लिये –
मुझे समुद्र के बीच में भव्य मन्दिर बनवाना है,
और प्रतीक्षा करनी है,
कि वहाँ
कब जल-प्रलय आना है |
कभी न कभी –
वहाँ जरुर जल त्रासदी आयेगी,
जो मेरी सात पीढ़ियों का फ्यूचर
सीक्योर्ड कर जायेगी |

Friday 7 June 2013

भूली-बिसरी तिथि : बिज़ी लोग



7 जून की तिथि भारत वासियों के लिये बहुत महत्वपूर्ण है | क्यों ? कितने भारतवासी यह जानतें हैं ?
7 जून ही वह ऐतिहासिक दिन था जब दक्षिण अफ्रीका में रेल का फर्स्ट क्लास का टिकट होने के बाद भी गाँधी जी को एक अंग्रेज़ ने रेल के डिब्बे से बाहर फेंक दिया | क्योंकि सफ़ेद चमड़ी वाले अंग्रेज़ों के अनुसार टिकट होने के बाद भी किसी अश्वेत को फर्स्ट क्लास के डिब्बे में बैठने का अधिकार नहीं था |
हम में से कितनों को यह याद है ?

और क्या हमे मालूम है कि श्री नेल्सन मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका के काया-कल्प के बाद 7 जून को उसी रेलवे स्टेशन पर एक विशाल जनसभा करके 7 जून की तिथि को मनाया था और हमारे गाँधी जी को भावभीनी श्रधांजलि दी थी |
--हमे भारत में कितनी बार 7 जून को गाँधी जी को याद किया ?
भूल गये, बहुत बिज़ी लोग हैं उनके पास फालतू के कामों के लिये समय ही कहाँ है |