7 जून
की तिथि भारत वासियों के लिये बहुत महत्वपूर्ण है | क्यों ? कितने भारतवासी यह
जानतें हैं ?
7
जून ही वह ऐतिहासिक दिन था जब दक्षिण अफ्रीका में रेल का फर्स्ट क्लास का टिकट
होने के बाद भी गाँधी जी को एक अंग्रेज़ ने रेल के डिब्बे से बाहर फेंक दिया |
क्योंकि सफ़ेद चमड़ी वाले अंग्रेज़ों के अनुसार टिकट होने के बाद भी किसी अश्वेत को
फर्स्ट क्लास के डिब्बे में बैठने का अधिकार नहीं था |
हम
में से कितनों को यह याद है ?
और
क्या हमे मालूम है कि श्री नेल्सन मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका के काया-कल्प के बाद 7 जून को उसी रेलवे स्टेशन पर एक
विशाल जनसभा करके 7
जून की तिथि को मनाया था और हमारे गाँधी जी को भावभीनी श्रधांजलि दी थी |
--हमे
भारत में कितनी बार 7
जून को गाँधी जी को याद किया ?
भूल
गये, बहुत बिज़ी लोग हैं उनके पास फालतू के कामों के लिये समय ही कहाँ है |
महात्मा गाँधी अब केवल किताबी विषय रह गए हैं.राजीव,,सोनिया और राहुल गाँधी के युग में अब बेचारे बूढ़े बाबा की जगह ही कहाँ रह गयी है साहब.वे तो केवल जनम व पुण्य तिथि पर फूल चढाने के लिए रह गएँ हैं.अब तो वे बुत बने दिन भर देश में हो रही दुर्दशा पर चुपचाप आंसू बहा रहें हैं किसी को वोट की जरूरत हो,उसे आधुनिक गाँधी का समर्थन न मिला हो,तो वह राजघाट जा कर रो लेता है,अख़बार में फोटो प्रचार के लिए छपवा देता है.बेचारे अन्ना का ये संबल हैं,पर कब तक,आखिर कब तक.विदेशियों के लिए गाँधी व उनकी विचारधारा चिंतनीय विषय हो सकती हैं,हमने उन्हें बुत,पुस्तकालयों तक सिमित कर दिया है.और हाँ एक बात और कहूं बुत भी पहले लग लिए सो लग लिए आप सर्वे करा कर देखिये कि पिछले पूरे बीस वर्षों में महात्मा गाँधी . देश में कितने बुत लगे अब तो इसमें भी प्राथमिकतायें बदल गयी हैं.इसलिए अब उन्हें याद करने का दकियानूसी विचार छोडिये.
ReplyDeleteआप ने महात्मा गांधी के प़संग में ७ जून को याद किया । आप को धन्यवाद देता हूँ । पर आज गांधी का महत्त्व मुद़ा के नोटों , सरकारी दफ़्तरों में उन के चित्र तक सीमित रह गया है । दूसरा गांधी इस देश में ज़रूर आएगा , पर तब उस का नाम और रूप अलग होगा ।
ReplyDeleteसहमत हूं आपकी बात से ... आज गांधी सिर्फ किताबो और "कोट" करने के लिए रह गए हैं .. जीवन में उतारने के लिए नहीं ...
ReplyDeleteअच्छा है वो ये सब देखने के लिए दुबारा देश में नहीं आए ...